History of Mount Abu in Hindi – माउंट आबू का इतिहास हिंदी में

Mount Abu In Hindi, माउन्ट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन जो अपने शांत वातावरण और हरे-भरे माहोल की वजह से इस राज्य का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

माउंट आबू पर्यटन स्थल अरावली रेंज में एक उच्च पथरीले पठार पर स्थित है जो जंगल से घिरा हुआ है। इस जगह की शांत जलवायु और नीचे के मैदानों का दृश्य पर्यटकों को काफी उत्साहित करता है।

Mount Abu Weather की निकी झील नौका विहार के लिए एक बहुत फेमस जगह मानी जाती है। इस जगह पर दिलवाड़ा मंदिर, हनीमून प्वाइंट, सनसेट पॉइंट जैसे कई लोकप्रिय पर्यटक स्थल हैं। Mount Abu हरे भरे जंगलो से घिरा हुआ है जो एक रोमेंटिक और साधारण दोनों तरह के पर्यटकों के लिए काफी अच्छा है।

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माउंट आबू का इतिहास – History of mount abu

माउंट आबू एक लोकप्रिय जैन तीर्थ स्थल और राजस्थान में एकमात्र प्राचीन हिल स्टेशन है। पौराणिक कथाओं की माने तो पवित्र पर्वत पर हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता भ्रमण करते हैं।

माना जाता है कि एक बार जब महान संत वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहाँ पर एक यज्ञ का आयोजन किया था तो जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान महावीर भी यहां आये थे। इसके बाद से ही यह जगह जैन भक्तों के लिए लिए एक पवित्र और धार्मिक जगह बन गई थी।

यह भी कहा जाता है कि इस जगह का नाम आबू नाम हिमालय के पुत्र आरबुआदा के नाम पर पड़ा है। आरबुआदा एक बहुत ही शक्तिशाली सर्प था, जिसने भगवान शिव के बैल नंदी की खाई में गिरने से जान बचाई थी।

बाद में यह स्थान ‘माउंट आबू’ के रूप में विकसित हुआ, जो धार्मिक भक्ति का निवास बन गया। लोक कथाओं में यह बताया गया है कि इस निर्मल पर्वत पर कई हिंदू देवी-देवता अक्सर आया करते थे। गोमुख, ऋषि वशिष्ठ ने भी यहां पर निवास किया है।

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आज इतने समय के बाद भी Mount Abu एक पर्यटन जगह होने के साथ एक धार्मिक स्थल भी है। माउंट आबू के इतिहास के बारे में कमी की वजह से इसके इतिहास और विकास के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है।

इस जगह के बारे में कहा जाता है कि कठिन भूभाग और घने जंगल होने की वजह से इस जगह पर कभी आक्रमण नहीं किया गया और न ही किसी विदेशी शासक ने यहाँ पर हमला किया।

माउंट आबू का इतिहास हिंदी में - History of Mount Abu in Hindi
माउंट आबू का इतिहास हिंदी में – History of Mount Abu in Hindi

ऐतिहासिक महत्व –

कुछ ऐतिहासिक जानकारी से यह पता चलता है कि यह क्षेत्र नगाओं, भीलों, सोलंकियों और देवड़ा-चौहान के शासन का हिस्सा था। लेकिन यहाँ के सर्वश्रेष्ठ दिलवाड़ा मंदिर का निर्माण सोलंकियों के शासन में हुआ था।

इस जगह को गौरव केवल ‘गुर्जर’ के शासन प्राप्त हुआ था। जिसके बाद इस स्थान को गुर्जरभूमि’ के रूप में जाना-जाने लगा था। अकबर के मुगल शासन के समय इस जगह की महिमा और महत्व जाने लगा था।

लेकिन ब्रिटिश राज के उदय के साथ इस जगह ने अपना महत्व वापस पा लिया। उस समय माउंट आबू को राजस्थान की ग्रीष्मकालीन राजधानी का शीर्षक भी मिला था। आज माउंट आबू दुनिया भर में एक आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

माउंट आबू नाम कैसे पड़ा – How was the name Mount Abu

कहा जाता है कि आरबुआदा एक बेहद ही शक्तिशाली सांप हुआ करता था। जो कि आबू नामक हिमालय का पुत्र था। एक बार भगवान शिव का बैल नंदी खाई में गिर गए था।

तब आरबुआदा ने नंदी की जान बचाई थी और तभी से इस जगह का नाम माउंट आबू रख दिया गया। वहीं माउंटआबू पर देवी-देवता का वास भी माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर गोमुख, ऋषि वशिष्ठ रहा करते हैं।

माउंट आबू का भूगोल – Geography of Mount Abu

पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य की अरवली रेंज में mount abu सर्वोच्च शिखर है यह सिरोही जिले में स्थित है पहाड़ 9 किमी चौड़ी तक 22 किमी लंबा एक विशिष्ट चट्टानी पठार का निर्माण करता है। पर्वत पर सर्वोच्च शिखर गुरु शिखर 1722 में है।

पूरे वर्ष पूरे शहर में सुखद माहौल का अनुभव है। उनकी गर्मी का तापमान 23 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है और सर्दियों में यह 11 से 28 डिग्री सी के बीच होता है। सर्दियों में गर्म कपड़े (नवंबर-जनवरी) की आवश्यकता होती है। हिल स्टेशन 65-177 सीएमएस की औसत वार्षिक वर्षा प्राप्त करता है।

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माउंट आबू, पश्चिमी राजस्थान में गुजरात की सीमाओं के निकट स्थित है। यह उदयपुर से लगभग 185 किमी, अहमदाबाद से 221 किमी, जोधपुर से 264 किमी, जयपुर से 500 किमी और दिल्ली से 765 किलोमीटर दूर स्थित है।

माउंट आबू का प्राचीन नाम क्या – What Is The Ancient Name Of Mount Abu

abu road to mount abu का प्राचीन नाम ‘अर्बुदांचल’ है. पुराणों में इस स्थान का ज़िक्र ‘अर्बुदारण्य’ के नाम से आता है, जिसका अर्थ है ‘अर्बुद का जंगल’. आबू इसी ‘अर्बुदारण्य’ शब्द से निकला हुआ नाम है.

ऐसा माना जाता है कि गुरु वशिष्ठ ने अवकाश प्राप्त कर माउन्ट आबू के दक्षिणी क्षेत्र में अपना शेष जीवन व्यतीत किया. एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अर्बुद नाम के एक सर्प ने इसी जगह पर भगवान् शिव के नंदी बैल के पराओं की रक्षा की थी.

माउंट आबू का इतिहास हिंदी में - History of Mount Abu in Hindi
माउंट आबू का इतिहास हिंदी में – History of Mount Abu in Hindi

इस घटना के बाद इस स्थान को अर्बुदारान्य कहा जाने लगा. सन 1311 ई में देओराचौहान वंश के राजा राव लुम्बा ने इस स्थान पर विजय प्राप्त की, जिसकी राजधानी उसने चन्द्रावती नामक एक मैदानी क्षेत्र में स्थापित की.

सन 1405 में चन्द्रावती को हटाकर राव सश्मल ने सिरोही में अपना मुख्यालय बनाया. कालांतर में ब्रिटिश सरकार ने इस जगह को इस्तेमाल करने के लिए सिरोही के महाराजा से पट्टे पर लिया.

माउंट आबू में गुमने लायक पर्यटन स्थल – Places To Visit in Mount Abu

समुद्र तल से 1,220 मीटर की ऊंचाई पर अरावली पहाड़ियों की रसीला परिवेश के बीच स्थित, माउंट आबू राजस्थान के रेगिस्तान राज्य में एकमात्र हिल स्टेशन है।

यह पूरे वर्ष के दौरान एक शांत और सुखद माहौल का आनंद लेता है, जो गर्मी के दौरान 21 ° -33 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों के दौरान 11 ° – 28 डिग्री सेल्सियस के बीच घूमता है,

राजस्थान की गर्मी और धूल से बहुत जरूरी राहत की पेशकश करती है। इसके असाधारण सुंदर सुंदरता के अलावा, माउंट आबू 11-13 वीं सदी के हिंदू और जैन मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है।

दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल – Dilwara Jain Temple Mount Abu In Hindi

दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित जैनियों का सबसे लोकप्रिय और सुंदर तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच वास्तुपाल और तेजपाल ने किया था।

दिलवाड़ा मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और हर से संगमरमर की संरचना होने की वजह से प्रसिद्ध है। यह मंदिर बाहर से बहुत ही साधारण दिखाई देता है

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लेकिन जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी हुई डिजाइनों को देखते ही आकर्षित हो जायेंगे।

जैनियों का तीर्थ स्थल होने के साथ ही यह मंदिर एक संगमरमर से बनी एक ऐसी जादुई संरचना है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है।

माउंट आबू में देखने की जगह नक्की झील – Mount Abu Ki Famous Tourist Spot Nakki Lake In Hindi

माउंट आबू में अरावली पर्वतमाला में स्थित एक नक्की लेक है जिसे स्थानीय रूप से नक्की झील के नाम से भी जाना जाता है। यह झील प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान मानी जाती है क्योंकि अद्भुत प्राकृतिक द्रश्यों से भरी हुई

यह झील वास्तव में माउंट आबू का सबसे प्रमुख आकर्षण है। नक्की लेक भारत की पहली मानव निर्मित झील है जिसकी गहराई लगभग 11,000 मीटर और चौड़ाई एक मील है।

माउंट आबू के केंद्र में स्थित यह आकर्षक झील हरे भरे पहाड़ों, पहाड़ों और अजीब आकार की चट्टानों से घिरी हुई है। माउंट आबू की उड़ने वाली हवाएं और सुखदायक तापमान में बोटिंग करना आपके दिल को खुश कर देगी।

बताया जाता है कि नक्की झील में, महात्मा गांधी की राख को 12 फरवरी 1948 को विसर्जित कर दिया गया था और गांधी घाट का निर्माण किया गया था। यह झील प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक बेहद लोकप्रिय जगह है।

गुरु शिखर – Guru Shikhar Abu In Hindi

अगर आप शहर के तेज और व्यस्त जीवन बोर हो गए है तो गुरु शिखर आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। गुरु शिखर अरावली रेंज की सबसे ऊँची चोटी है जो mount abu से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

इस शिखर की समुद्र तल से ऊँचाई 1722 मीटर है जिसकी वजह से यहाँ से अरावली रेंज और mount abu के हिल स्टेशन का बहुत ही आकर्षक दृश्य देखने को मिलता है।

इस जगह पर आबूवेधशाला और गुरु दत्तात्रेय का गुफा मंदिर जो भगवान विष्णु को समर्पित है। ऑब्जर्वेटरी में 1.2 मीटर का इंफ्रारेड टेलीस्कोप है।

15 किलोमीटर की ड्राइव के बाद आपको गुरु शिखर पर जाने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी होंगी। अगर आप अक्टूबर और नवंबर के समय इस जगह पर जाते हैं तो यहाँ पर बहुत अधिक बादल और धुंध हो जाती है।

यहां आने वाले पर्यटकों को इस समय ऐसा महसूस होता है जैसे वो बादलों की मदद से गुरु शिखर पर जा रहे हैं क्योंकि चारों ओर धुंध दिखाई देती है। यह जगह यहां आने वाले पर्यटकों के मन को आनंदित कर देती है।

गौमुख मंदिर – Gaumukh Temple Mount Abu In Hindi

माउंट आबू में शहर से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित गौमुख मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको 700 सीढ़ियों की पवित्र चढ़ाई करके जाना होता है।

यह मंदिर अपने आस-पास की घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। गौमुख मंदिर में पूरे साल पर्यटकों और भक्तों की भीड़ होती है। घने जंगल के बीच स्थित इस मंदिर में गौमुख (गाय काप्मुख) भगवान कृष्ण, भगवान राम और ऋषि वशिष्ठ की मूर्तियों के साथ नंदी की मूर्ति आपका स्वागत करता है।

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इस मंदिर में संगमरमर के बैल की मूर्ति (मुंह से पानी गिरने वाली) हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान शिव के बैल नंदी को समर्पित है। यहाँ आकर आप प्रकृति की सुंदरता देखने के साथ ट्रेकिंग का भी भरपूर आनंद ले सकते हैं।

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर संत वशिष्ठ के समर्पण में बनाया गया था जिन्होंने चार प्रमुख राजपूत वंशों के निर्माण के लिए एक यज्ञ किया था।

जिस अग्नि कुंड में यज्ञ किया गया था वो इस मंदिर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। रामायण की कथा से यह ज्ञात हुआ है कि राम वनवास के समय राम और लक्ष्मण ज्ञान की प्राप्ति के लिए इस जगह पर आये थे और उन्होंने यहां रहने वाले ऋषि वशिष्ठ से आशीर्वाद लिया था।

अर्बुदा देवी मंदिर – Arbuda Devi Temple Mount Abu In Hindi

अर्बुदा देवी मंदिर को माउंट आबूका सबसे पवित्र तीर्थ बिंदु माना जाता है। इस मंदिर को 51 में से छठा शक्तिपीठ माना जाता है। अर्बुदा देवी को कात्यायनी देवी का अवतार कहा जाता है।

नवरात्र के मौके पर माउंट आबू का पर्यटन स्थान एक आध्यात्मिक नगरी के रूप में बदल जाता है। यहाँ पर दूर से लोग अर्बुदा देवी मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।

आपको बता दें कि यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है जिसके दर्शन के लिए आपको 365 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है। बताया जाता है कि मंदिर के पास दूध के रंग के पानी से बना पवित्र कुआँ है।

यहाँ के स्थाई निवासी इस कुएं को कामधेनु (पवित्र गाय) के रूप में मानते हैं। यह पवित्र कुआँ मंदिर के लिए पानी का मुख्य स्रोत भी है। विशाल ठोस चट्टानों से निर्मित यह मंदिर भारत के चट्टानों पर बने मंदिरों के सर्वश्रेष्ठ नमूनों में से एक है।

ट्रेवल टैंक – Trevors Tank Mount Abu In Hindi

माउंट आबू से 5 किमी दूर स्थित ट्रेवर्स टैंक प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहद लोकप्रिय जगह है। इसका नाम एक ट्रेवर नामक एक इंजीनियर के नाम पर रखा गया है जिसने इसे डिजाइन किया था।

मगरमच्छ, पक्षी और अन्य वन्यजीवों को देखने के लिए लोकप्रिय एकांत जंगल में जलाशय बना हुआ है। वर्तमान में यह स्थानीय और यहां हर साल आने वाले पर्यटकों दोनों के लिए एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। यह जगह आपको प्रकृति का शानदार नजारा दिखाती है।

वन्यजीव अभ्यारण – Wildlife Sanctuary Rajasthan Mount Abu In Hindi

माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य एक समृद्ध जैव विविधता वाली ऐसी जगह है जो इसे एक छोटे और अच्छे पर्यटक स्थलों की सूची में शामिल करता है।

यह अभयारण्य माउंट आबू पर्वत श्रृंखलाओं की सबसे पुरानी जगहों में से एक है और यहां के कई उत्तम दृश्यों के साथ आपको कई दर्शनीय स्थल भी देखने को मिलते हैं।

इस पूरे क्षेत्र को वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करने के लिए एक वन्यजीव अभयारण्य बनाया गया था। यह अभयारण्य एक ऐसी जगह है, जिसमे सदाबहार जंगलों की जीवंत वनस्पति पाई जाती है।

अगर आप राजस्थान की यात्रा के समय कुछ अच्छे वन्यजीवों को देखना और प्राकृतिक जगह का अनुभव लेना चाहते हैं तो यह इसके लिए बहुत अच्छा स्थान है।

Toad Rock Mount Abu In Hindi – टॉड रॉक –

टॉड रॉक को माउंट आबू के शुभंकर के रूप में जाना जाता है, यह चट्टानों से बनी एक बहुत ही अद्भुद जगह है जहां पर आपको बड़ी-बड़ी चट्टानें देखने को मिलेंगी।

टॉड रॉक माउंट आबू आने वाले सभी पर्यटकों के द्वारा में सबसे ज्यादा बार देखी जाने वाली जगह है। आसपास की झील और हरे भरे पहाड़ी क्षेत्रों केआकर्षक दृश्यों को देखने के लिए आप यहाँ चट्टान पर चढ़ सकते हैं और अपने कैमरा की मदद से कुछ लुहावने दृश्यों को कैद कर सकते हैं।

रघुनाथ मंदिर – Raghunath Temple Mount Abu In Hindi

भगवान विष्णु के पुनर्जन्म को समर्पित श्री रघुनाथ जी मंदिर निकी झील के तट पर एक 650 साल पुराना मंदिर। जो मुख्य रूप से वैष्णवों द्वारा देखा गया ऐसा मंदिर है जिसे पृथ्वी पर सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है।

श्री रघुनाथ जी के बारे में माना जाता है कि वे अपने अनुयायियों को सभी प्राकृतिक आपदाओं से बचाते हैं। इसके साथ ही उनके भक्तों का यह भी मानना है कि वे उन्हें जीवन के दर्द और सभी समस्याओं से मुक्त करेंगे।

इस मंदिर की दीवारों पर मेवाड़ की स्थापत्य विरासत को शिलालेखों की मदद से देखा जा सकता हैं। इस मंदिर में नाजुक पेंटिंग और नक्काशी भी देखने को मिलती है। श्री रघुनाथ जी की उत्कृष्ट नक्काशीदार मूर्ति माउंट आबू का सबसे मुख्य आकर्षण है।

टूरिस्ट प्लेस यूनिवर्सल पीस हॉल – Universal Peace Hall Mount Abu In Hindi

यूनिवर्सल शांति हॉल जो कि ब्रह्म कुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का मुख्य सभा हॉल है जिसको ओम शांति भवन भी कहा जाता है। इस भवन का निर्माण 1983 में किया गया था।

शांति से भरपूर सफेद संरचना के इस हाल में लगभग 5,000 लोग बैठ सकते हैं। इस हाल में किसी भी आयोजन के दौरान 16 बिभिन्न भाषाओं में अनुवाद की सुविधा है।

जब से इस हाल को सार्वजनिक पर्यटन स्थल घोषित किया गया है तब से करीब 8,000 से अधिक लोग रोज यहां आते हैं। जब आप यूनिवर्सल पीस हॉल में आते हैं तो यहाँ पर ब्रह्मा कुमारियों का एक सदस्य आपको एक परस्पर संवादात्मक समूह में ले जायेगा जहां किसी भी इंसान की रोज की परेशानी और तनाव को दूर किया जाता है।

अचलगढ़ किला – Achalgarh Fort Mount Abu In Hindi

माउंट आबू से 11 किमी की दूरी पर स्थित अचलगढ़ किला राजस्थान के प्रसिद्ध प्राचीन किलो में से एक है। अचलगढ़ गाँव माउंट आबू में एक सुरम्य गाँव है

जो अचलगढ़ किले, अचलेश्वर मंदिर और ऐतिहासिक जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। किले के परिसर में एक प्रसिद्ध शिव मंदिर, अचलेश्वर महादेव मंदिर और मंदाकिनी झील है।

अचलेश्वर महादेव के केंद्र में एक नंदी जी की एक मूर्ति भी स्थापित है जो 5 धातु (कांस्य, सोना, जस्ता, तांबा और पीतल) से मिलकर बनी हुई है।

अचलगढ़ क़िला घूमने के लिए इतिहास प्रेमियों के साथ-साथ तीर्थ यात्रियों के लिए भी एक प्रसिद्ध स्थल बना हुआ है। जहा के कई ऐतिहासिक अवशेष और महान धार्मिक महत्व के पुराने मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण केंद्र बने हुए है।

सूर्यास्त बिंदु – Sunset Point Mount Abu In Hindi

अगर आप mount abu घूमने के लिए आ रहे हैं तो आपकी यात्रा यहां के सन सेट पॉइंट पर्यटन के खास स्थल के बिना पूरी नहीं होगी। इस जगह पर आपको ऐसा नजारा देखने को मिलता है जो अपने कभी सोचा नहीं होगा।

सूर्यास्त के समय बीहड़ अरावली पर्वतमाला के बाहर सूर्य की किरणों दृश्य पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। इस जगह पूरे साल एक सुखद जलवायु होती है।

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यह जगह किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए बेहद खास है क्योंकि जब सूर्य डूबता है तो इसकी किरणे लाल और नारंगी रंग के रंगों में अरावली की समृद्ध हरियाली में बहुत खूबसूरत दिखाई देती हैं।

जो भी पर्यटक शहर के भीड़-भाड़ वाले माहोल से दूर रह कर शांति से सूर्यास्त का आनंद लेना चाहते हैं, उनके लिए माउंट आबू की यह जगह बहुत अच्छी है।

माउंट आबू गुमने का अच्छा समय –

माउंट आबू में वैसे तो साल भर अच्छी जलवायु होती है, क्योंकि यह जगह समृद्ध वनस्पतियों से घिरी हुई है, जिसमें फूलों के झाड़ियाँ और शंकुधारी वृक्ष भी हैं।

अगर आप माउंट आबू में घूमने के बारे में सोच रहे हैं तो बता दें कि इस जगह की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मानसून और सर्दियों के दौरान है।

इसका मतलब यह है आप जुलाई से – फरवरी तक कभी भी माउंट आबू की सैर कर सकते हैं। इन महीनों का सुंदर मौसम और सुखद तापमान इस जगह की यात्रा के लिए उत्कृष्ट है।

माउंट आबू कैसे पहुंचे –

आप माउंट आबू घूमने के लिए आप हवाई, ट्रेन या फिर सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते है।

माउंट आबू हवाई मार्ग से –

अगर आप माउंट आबू घूमने के लिए हवाई जहाज से जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको बता दें कि माउंट आबू से कोई डायरेक्ट एअरपोर्ट जुड़ा नहीं है।

इसका निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर राजस्थान में है। उदयपुर हवाई अड्डे से माउंट आबू की दूरी 177 किमी है, जिसमें सड़क मार्ग द्वारा आपको 3 घंटे का समय लग जायेगा।

अगर आप किसी और देश से आ रहे हैं तो आपको अहमदाबाद हवाई अड्डा उतरना बेहतर होगा, जो एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इसके अलावा आप दिल्ली, मुंबई, जयपुर से उदयपुर के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट ले सकते हैं। इसके बाद आप माउंट आबू पहुँचने के लिए टैक्सी या कैब ले सकते हैं।

माउंट आबू ट्रेन से –

Mount Abu In Hindi, अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो आपको जयपुर और अहमदाबाद से माउंट आबू के लिए कई ट्रेन मिल जाएँगी। लेकिन अगर आप जयपुर और अहमदाबाद के अलावा किसी दूसरे शहर से माउंट आबू की यात्रा कर रहे हैं

तो हम आपको बता दें कि यहां पहुंचने के लिए आप टैक्सी को प्राथमिकता दें, क्योंकि ट्रेन से आने में आपको काफी दिक्कत हो सकती है। ट्रेन से माउंट आबू तक पहुँचने के लिए लंबे मार्ग से जाना होगा।

माउंट आबू सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे How To Reach Mount Abu By Road In Hindi

Mount Abu Sightseeing जाने के लिए आपको राज्य परिवहन की बस मिल जाएँगी। अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए माउंट आबू पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका दिल्ली से उदयपुर के लिए फ्लाइट पकड़ना है। इसके बाद वो उदयपुर से सड़क मार्ग द्वारा निजी कार या टैक्सी की मदद से माउंट आबू पहुंच सकते हैं।

Mount Abu Rajasthan Map –