Laxmi Vilas Palace – को अगर वडोदरा की पहचान कहा जाए तो गलत नहीं होगा। सूर्यास्त के सुनहरे उजाले में डूबा यह भव्य महल अपने राजसी वैभव की पहचान बरकरार रखे जहन में उभर आता है।
इस शानदार पैलेस का निर्माण 1890 में महाराजा सयाजीराव गयकवाड़ ने करवाया था।लक्ष्मी विलास पैलेस भारत की सबसे राजसी संरचनाओं में से एक है जो महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ का निजी निवास स्थान था।
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लक्ष्मी विलास महेल वड़ोदरा – Lakshmi Vilas Palace Vadodara
आपको बता दें कि यह शानदार महल वडोदरा 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है जो अभी भी वडोदरा के गायकवाड़ के शाही परिवार का घर है। लक्ष्मी विलास पैलेस गुजरात के वडोदरा में स्थित है जहां की यात्रा के लिए हर पर्यटक को अवश्य जाना चाहिए।
यह शानदार महल कई तरह के हरे-भरे बगीचे से भरा हुआ है जो यहां की सुंदरता को बेहद बढाते हैं। कुछ पर्यटक यहां पर बंदरों या मोरों को घूमते हुए भी देख सकते हैं। लक्ष्मी विलास महल के मैदान में 10-होल गोल्फ कोर्स भी शामिल है।
आपको बता दें की पहले यहां एक छोटा चिड़ियाघर भी हुआ करता था लेकिन अब यहां एक छोटा तालाब और कुछ मगरमच्छ बचें हुए हैं। अगर आप लक्ष्मी विलास पैलेस के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें इसमें हम लक्ष्मी विलास पैलेस के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं।
पैलेस का नाम | लक्ष्मी विलास पैलेस |
किसने बनवाया था | महाराजा सयाजीराव गयकवाड़ |
स्थान | वड़ोदरा |
राज्य | गुजरात |
निर्माण शुरू का समय | 1880 |
निर्माण पूर्ण | 1890 |
पैलेस का क्षेत्र | 700 एकड़ |
कुल कमरे | 170 |
पैलेस के डिज़ाइनर | चार्ल्स मेंट, आरएफ चिसोल्म |
लक्ष्मी विलास पैलेस का इतिहास – History of Laxmi Vilas Palace
लक्ष्मी विलास पैलेस का निर्माण 1890 में हुआ था जिसे पूरा होने में लगभग बारह साल का समय लग गया था। उस समय इस संरचना की लागत लगभग 180,000 के आसपास थी। और इसके मुख्य वास्तुकार मेजर चार्ल्स मांट थे।
उन्होंने इस महल का निर्माण इंडो-सारासेनिक शैली में किया था, जिसमें गुंबद, टकसाल और मेहराब शामिल हैं। लक्ष्मी विलास महल में कई अन्य संरचनाएं भी शामिल हैं जिसमें बैंक्वेट्स और कन्वेंशन, मोतीबाग पैलेस और महाराजा फतेह सिंह संग्रहालय भवन शामिल हैं।
लक्ष्मी विलास पैलेस की वास्तुकला – Architecture of Laxmi Vilas Palace
लक्ष्मी विलास महल भारत में आज तक के सबसे प्रभावशाली राज-युग के महलों में से एक है। इस महल का अंदरूनी हिस्से में असेंबल, कलाकृति और झूमर हैं।
इस महल को इसके निर्माण के समय लिफ्ट सहित सबसे उच्च तकनीकी सुविधाओं के साथ बनाया गया था ताकि इसे पश्चिमी सुविधाओं के लिए अधिक उपयुक्त स्थान बनाया जा सके।
लक्ष्मी विलास पैलेस में170 कमरे हैं जिसमें सिर्फ दो लोगों यानी महाराजा और महारानी के लिए बनाया गया था। मेजर चार्ल्स मांट को महल के वास्तुकार के रूप में काम पर रखा गया था
लेकिन उनके आत्महत्या कर लेने के बाद रॉबर्ट फेलोस चिशोल्म को शेष काम पूरा करने के लिए काम पर रखा गया था।लक्ष्मी विलास पैलेस इंडो-सारासेनिक रिवाइवल वास्तुकला का एक शानदार नमूना है |
इसका प्रवेश द्वार पर, दरबार हॉल मोज़ेक फर्श, फर्नीचर, विनीशियन झूमर और बेल्जियम ग्लास खिड़कियों से सजा हुआ है। महल में महाराजा के समय में युद्ध में इस्तेमाल होने वाले तलवारों और हथियारों के युद्ध का एक विशेष संग्रह भी प्रदर्शित किया गया है।
हाल ही में संग्रहालय में महाराजा रणजीत सिंह गायकवाड़ द्वारा एकत्र किए गए हेडगियर्स प्रदर्शित किए गए थे। अब यह भारत के उन संग्रहालयों में से एक है, जिसमें हेडगियर गैलरी है।
लक्ष्मी विलास महल के प्रवेश द्वार में एक आकर्षक फव्वारे से सजा हुआ एक आंगन है। महल के अंदरूनी हिस्से को आकर्षक बनाने के लिए कई संगमरमर की टाइलें और अन्य कलाकृतियाँ इस्तेमाल की गई हैं।
महल में कई उद्यान स्थित हैं जो प्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी सर विलियम गोल्डिंग द्वारा डिजाइन किए गए थे। जिन्होंने लंदन के प्रसिद्ध केव बॉटनिकल गार्डन को भी डिजाइन किया था।
लक्ष्मी विलास पैलेस का क्षेत्र – Area of Laxmi Vilas Palace
लक्ष्मी विलास पैलेस में तस्वीरें क्लिक करना मना है। यह एक प्राइवेट पैलेस है, जिसे देखने के लिए 150 रूपए का टिकट लगता है। 700 एकड़ में फैला ये महल बंकिघम पैलेस से चार गुना बड़ा है।
सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस है। ये भारत में अभी तक का बना सबसे बड़ा पैलेस है जिसके अंदर और भी कई बिल्डिंग जैसे मोती बाग पैलेस, माकरपुरा पैलेस, प्रताप विलास पैलेस और महाराजा फतेह सिंह म्यूजियम भी है।
लक्ष्मी विलास पैलेस की बनावट – Laxmi Vilas Palace Design
इस पैलेस का डिज़ाइन बनाने की जिम्मेदारी अंग्रेज आर्किटेक्ट चार्ल्स मंट को दी गई थी। लक्ष्मी विलास पैलेस इंडो सरैसेनिक रिवाइवल आर्किटेक्चर में बनी एक ऐसी संरचना है, जिसका शुमार दुनिया के आलीशान महलों में किया जाता है।
इस विशाल पैलेस की नींव 1880 में रखी गई थी और इसका निर्माण कार्य 1890 में पूरा हुआ था। इस महल की संरचना में राजस्थानी, इस्लामिक और विक्टोरियन आर्किटेक्चर का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
इसलिए बाहर से देखने में इस महल के गुंबदों में कहीं मंदिर तो कहीं मस्जिद तो कहीं गुरुद्वारे के गुंबद नजर आते हैं। वहीं नजदीक ही चर्च की बुर्जनुमा संरचना भी दिखाई देती है।
दरअसल, गायकवाड़ राजवंश मूल रूप से मराठा हैं, इसलिए इनके द्वारा बनवाए गए भवनों में मराठी वास्तुकला के नमूने जैसे तोरण, झरोखे, जालियां आदि देखने को मिलती हैं।
महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय गायकवाड़ राजवंश के अति प्रतापी राजा थे उनके राज में बड़ौदा रियासत का कायाकल्प हुआ। यह महल अपने आप में गयकवाड़ राजवंश की बहुमूल्य वस्तुओं का संग्रहालय है।
यहां पर एक दरबार हॉल है, जिसमें राजा रवि वर्मा द्वारा बनाए गए बेशकीमती चित्र लगे हुए हैं। इन चित्रों को बनाने के लिए राजा रवि वर्मा ने पूरे देश की यात्रा की थी।
लक्ष्मी विलास पैलेस के अंदर घुमेराजा फतेह सिंह संग्रहालय है – Maharaja Fateh Singh Museum inside Laxmi Vilas Palace
महाराजा फतेह सिंह संग्रहालयलक्ष्मी विलास पैलेस के अंदर स्थित है जहां पर महान कारीगरों से जुड़ी कई मूर्तियां देखी जा सकती है। जिसमें से कुछ भारतीय और कुछ विदेशी थे।
यह संग्राहलय रॉयल्स महाराजा सर सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय और उनके परिवार के समय से संबंधित कला को भी प्रदर्शित करता है। संग्रहालय के अंदर मौजूद गैलरी में चीनी के साथ-साथ जापानी मूर्तियां भी रखी हुई हैं।
लक्ष्मी विलास पैलेस घूमने के साथ क्या कर सकता है – What to do with visiting Laxmi Vilas Palace
लक्ष्मी विलास पैलेस परिसर में एक स्विमिंग पूल है जो पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थानों में से है। अगर आप अपने परिवार के साथ इस महल की यात्रा करने के लिए जा रहें हैं तो जकूज़ी और बेबी पूल आपकी इस यात्रा को बेहद सुखद बनाते हैं।
इसके अलावा यहां एक आयुर्वेदिक मालिश केंद्र भी मौजूद है जो पूल के पास स्थित है और यह कई रोगों का उपचार भी प्रदान करता है। कठपुतली शो हमेशा से राजस्थानी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है जिसका आनंद यहां पर पर्यटक शाम के समय ले सकते हैं।
इसके अलावा पर्यटक इस महल में टेबल टेनिस, पूल टेबल और कैरम बोर्ड जैसे खेलों का मजा भी ले सकते हैं। महल में स्विमिंग पूल के आस-पास के बच्चों के खेलने के लिए भी जगह है |
जिससे माता-पिता आराम कर सकें और अपने बच्चों पर नज़र रख सकें। इसके अलावा पर्यटक यहां बैडमिंटन के खेल का भी मजा ले सकते हैं।
लक्ष्मी विलास पैलेस का दरबार हॉल – Darbar Hall of Laxmi Vilas Palace
यहां के दरबार हॉल में फेलिसकी द्वारा संकलित किए गए कांसे, संगमरमर व टेरीकोटा की मूर्तियां और विलियम गोर्डलिंग द्वारा तैयार किए गए बागीचे को देखकर आप रोमांचित हो उठेंगे।
लक्ष्मी विलास के निर्माण में कोनसे अधिकारियो को नियुक्त किया –
इस महल के निर्माण के लिए राजा ने दो अंग्रेज़ अधिकारियों मेजर चार्ल्स मेंट, आरएफ चिसोल्म को नियुक्त किया था। इंडो-सारासेनिक परंपरा से बने इन महलों में आप भारतीय, इस्लामिक और यूरोपीय वास्तुशिल्प का मिला जुला रूप देख सकते हैं।
लक्ष्मी विलास पैलेस खुलने और बंद होने का समय – Laxmi Vilas Palace opening and closing hours
लक्ष्मी विलास पैलेस के लिए पर्यटक सुबह 9:30 से शाम 5:00 बजे तक जा सकते हैं। दोपहर के समय 1:00 बजे- 1:30 बजे तक महल की यात्रा करने की सलाह नहीं दी जाती। बता दें कि सोमवार को महल बंद रहता है।
लक्ष्मी विलास पैलेस एंट्री फीस – Laxmi Vilas Palace Entry Fee
लक्ष्मी विलास पैलेस का प्रवेश शुल्क 150 रूपये प्रति व्यक्ति है।
महाराजा फतेह सिंह संग्रहालय का प्रवेश शुल्क 60 रूपये प्रति व्यक्ति है।
लक्ष्मी विलास पैलेस घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Laxmi Vilas Palace
अगर आप लक्ष्मी विलास पैलेस घूमने जाने के अच्छे समय के बारे में जानना चाहते है तो बता दें कि आपको यहां का दौरा अक्टूबर और मार्च के महीनों के दौरान करना चाहिए। क्योकि इस समय यहां का मौसम बेहद सुहावना होता है।
लक्ष्मी विलास पैलेस वडोदरा कैसे पहुंचे – How to reach Laxmi Vilas Palace Vadodara
अगर आप लक्ष्मी विलास पैलेस वडोदरा जाने के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि यहां पर आप सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं।
फ्लाइट से लक्ष्मी विलास महल कैसे पहुंचे –
अगर आप हवाई मार्ग से लक्ष्मी विलास महल वडोदरा की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि वडोदरा का अपना एक एयरोड्रम है, लेकिन यह सिर्फ केवल घरेलू उड़ानों को ही संचालित करता है।
वडोदरा का हवाई अड्डा भारत के सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है इसलिए आपको यहां पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा अहमदाबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी इसके पास स्थित है जो 100 किमी दूर है।
ट्रेन से लक्ष्मी विलास पैलेस वडोदरा कैसे जाये –
वडोदरा जंक्शन रेलवे स्टेशन भारत के सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है और गुजरात का सबसे व्यस्त स्टेशन भी है। लक्ष्मी विलास पैलेस वडोदरा जाने के लिए पर्यटक दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस प्रीमियम और सुपर फास्ट ट्रेनों से भी यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग से लक्ष्मी विलास पैलेस कैसे जाये –
अगर आप सड़क मार्ग से वडोदरा की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि सड़क मार्ग भी यहां की यात्रा के लिए बेहद अनुकूल है। यह शहर अच्छी तरह से विकसित है और सुपर फास्ट राजमार्गों के साथ भारत के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
वडोदरा जाने के लिए आप एसटीसी बस स्टेशन से बसों की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं जो वड़ोदरा जंक्शन के पास स्थित है।
लक्ष्मी विलास पैलेस की कुछ बाते –
लक्ष्मी विलास पैलेस को 1890 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने बनवाया था.
वर्तमान में Indo-Sacarcenic शैली में बने महल के मालिक महाराज समरजीत सिंह गायकवाड़ और उनकी पत्नी महारानी राधिका राजे गायकवाड़ हैं.
ये महल आकार में बकिंघम पैलेस से चार गुना बड़ा है.
मेजर Charles Mant ने इसका डिज़ाइन तैयार किया था.
ये महल 700 एकड़ में फैला हुआ है और इसके अंदर 170 आलीशान कमरे हैं.
Modhera सूर्य मंदिर का इतिहास हिंदी में
125 साल पुराने इस महल की गिनती दुनिया के सबसे बड़े और लग्ज़री महलों में की जाती है.
इस महल के इंटीरियर में आपको भारतीय, इस्लामिक और यूरोपीय वास्तुशिल्प का मिला-जुला रूप देखने को मिलेगा.
लक्ष्मी विलास पैलेस में कई बॉलीवुड फ़िल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. जैसे प्रेम रोग, ग्रैंड मस्ती.
इस पैलेस के अंदर महाराजा फ़तेह सिंह म्यूज़ियम भी है. इसमें फ़ेमस पेंटर राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स रखी गई हैं.
इसके अलावा महल में एक क्रिकेट का मैदान और बैडमिंटन कोर्ट भी है.
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